शनिवार, 1 मई 2010

सार्थक

कुछ दिन पहले एक किताब पढ़ी थी,"सूत्रधार".कथाकार संजीव द्वारा लिखित ये किताब भोजपुरी रंगमंच या नौटंकी के जनक भिखारी ठाकुर के जीवनी पर आधारित है. यह किताब संजीव के अद्भुत शोध और जिजीविषा का परिणाम है.जहाँ तक मुझे ज्ञान है संजीव ने यह किताब काफी शोध और खोज के बाद लिखी थी.भोजपुरी भाषा का गढ़ छपरा और आस-पास के इलाकों में जाकर काफी समय बीते उन्होंने.वास्तविक जानकारी के लिए भिखारी ठाकुर के समकालीन कुछ लोगों से मिली जानकारी उनके लिए भी सूत्रधार बनी होगी।

आज के कथाकारों की वातानुकूलित ज़िन्दगी से दूर संजीव का अपना संसार है।

भारत और भारतीय को एक नया आयाम देने के पुरजोर कोशिश में लगे संजीव को मेरा शत-शत नमन.मैं कुछ कर नहीं सकता लेकिन सराह तो सकता हूँ.जागो मीडिया वालों IPL में चोर पकड्ने से ज्यादा अहमियत यदि भारत के सुदूर क्षेत्रों में बिखरी मोतियों को सहेजने में लगाया जाये तो मेरे हिसाब से ज्यादा सार्थक काम होगा.

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