शनिवार, 10 जुलाई 2010

समाधान

नक्सल्वाद अब दूसरा रूप लेता जा रह है.अपने देश में स्वीकार्यता एक बहुत बड़ी समस्या है.ऐसे विषयों पर सभी पक्षों का सहमति होना और सभी पक्षीं द्वारा इससे राज़नींतिक लाभ की कोशिश इस समस्या को एक बहुत ही गलत दिशा में ले कर जा रहा है.जिस तरह से आतंकवाद से इस्लाम का भला नहीं हो सकता लाल सलाम से माओवादियों का भला नहीं हो सकता.अब माओवादी आन्दोलन का उद्देश्य कहीं गुम होता जा रहा है पैसो के बाज़ार में.अब माओवादी ,रंगदारी में ज्यादा बिश्वास रखते हैंक्योंकि सिद्धातों के अनुशरण से पेट की भूख नहीं जाती .आये दिन सर्वसाधारण लोगों की हत्या समस्या का समाधान कम और मुश्लिक्लें ज्यादा बढ़ाएंगी।
सरकार इन नौजवानों को बिना किस शर्त नौकरी दे और नए कबाड़ी जो आज कल उद्योगपति बनते जा रहें हैं उनको इसी शर्त पर कारखाना लगाने दें की वोह इन लोगों को हर तरह की सुविधा दें. पूरा देश क्या इन उद्योगपतियों के नाम गिरवी रख दी जायेगी.शाले,आज से कुछ दिन पहले कबाड़ का काम करते थे और आज टाटा बनने चले हैं.इनकी मुनाफे के जड़ में असली शोषण है और पैसे के बल पर यह सरकार बने बैठे हैं.वोह पैसा भी इनके बाप का नहीं है यह पैसा भी हम आप जैसे कामचलाऊ लोगों की है.जरूरत है इन सभी को देश के हित में काम करने का,जो सरकार नहीं करा पति है.

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