शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

"मेरी बदजुबानी से कैसा तूफां उमड़ आया
फिर आँखों से तेरी आंसू का सैलाब उमड़ आया ,

कहना था कुछ , कह कुछ मैं और आया
या अल्लाह ! यह तीर फिर तेरे दिल को चीर आया ,

शौक़ था ,तेरी ख़ुशी लाने मैं बाज़ार गया
ख्वामखाह ,मैं फूल समझ कांटे उठा लाया ,

रोशन हो तेरी राह ., यह सोचकर मैं शमा जला  आया
मुड़ के देखा ,यह क्या ,मैं आग का दरिया बहा आया ,

बुलंद करने तेरे सितारों को मै आसमां झुका  लाया
ऊफ्फ ! यह क्या ,मैं खुद अपना कफ़न ओढ़ आया

आबाद तेरा गुलशन रहे ,यह मेरी इबादत "सुमन"
यह अलग बात है ,तेरी बेरुखी का इलज़ाम मिरे सिर आया !!

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