tag:blogger.com,1999:blog-73130639797206368632024-03-05T06:06:47.595-08:00Bas Yun hiAtit mein jeeta aadmisumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-33956237688600330442023-07-06T23:15:00.001-07:002023-11-01T09:01:10.909-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
तसव्वुर तो थी कभी ,मगर सच होगा ,</div>
<div style="text-align: left;">
ज़िन्दगी तू ऐसे भी कभी reboot होगा</div>
<div style="text-align: left;">अफ़साने तो सुने ,मगर ये हकीकत होगा </div>
<div style="text-align: left;">
ज़िन्दगी तू इस तरह से भी दिलफ़रेब होगा </div>
<div style="text-align: left;">चल रहा था अपनी ही धुन में ज़माना ,</div>
<div style="text-align: left;">और ये ही शायद तुम्हें नागवार होगा </div>
<div style="text-align: left;">बदहवास भागते मासरे इस सफर में </div>
<div style="text-align: left;">उनकी ये डोर फिर तुम्हारे हाथ होगा </div>
<div style="text-align: left;"> भूख की ये ज़िद्द और सफर धूप की </div>
<div style="text-align: left;">
किसे मालूम तू इस तरह बेवफा होगा </div>
<div style="text-align: left;">कभी तो सोचता ,इस फूल से पांवों में </div>
<div style="text-align: left;">
पाजेब तो नहीं ,ये जख्म के निशाँ होंगे </div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
निहार के सो गयी होगी वो मां के आँखे </div>
<div style="text-align: left;">
ये उम्र का असर नहीं ,इंतज़ार की इंतेहा होगी प</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">समेट ली कुछ ज़िन्दगी तुमने</div>
फैला दिया कुछ बेबसी की चादरें<br />
ऐसा तो नहीं ,तू इस तरह बेमुर्रवत होगा<br />
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-84709699760289761472019-12-10T07:12:00.000-08:002019-12-10T07:12:02.693-08:00कलयुगी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
निशा के कोख मे लिखी गयी<br />
घृणित,रक्त रंजित कहानी फिर से<br />
एक और निर्भया के शोणित से<br />
कलन्कित हुई धरा का वक्ष फिर से<br />
फिर वही वाचालता, फिर वही शोर<br />
दुहराया जायेगा मनुष्य की अमनुष्यता फिर से<br />
सुना था कलियुग है,कोई कृष्ण नही, कोई भीष्म नहीं,<br />
दुर्योधन और दुस्सासन करेंगे चीत्कार फिर से<br />
मूक बनकर देखना तुम ,शर्म से आँखें झुकाकर<br />
घूंट ये पीना पड़ेगा अपमान का इस बार फिर से<br />
#RIPPRIYANKA</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-66081142649371424812014-04-27T01:18:00.000-07:002014-04-27T01:18:21.019-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
यौ बाबू<br />
-------<br />
<br />
बहि त गेल छी जिंदगी में ,मुदा घुरब कोना<br />
कमला त सदैव बहैत रहती,मुदा देखब कोना<br />
<br />
इ बेंटली ,इ ऑडी ,इ मोनोरेल त भेटत<br />
मुदा उजरा बरद के घंटी सुनब कोना<br />
<br />
रैडिसन ,लीला ,हिलटन में सब किछु भेटत<br />
मुदा दाई के हाथ के बगिया भेटत कोना<br />
<br />
श्रेया , सुनिधि ,मीका त सब किछु सुनाओत<br />
मुदा महिसवार के गीत सुनब कोना<br />
<br />
<br />
एस्सेलवर्ल्ड ,फन्तासीलैंड ,मजिक्टौन त घूमब<br />
मुदा लतामक गाछ पर चढ़ब कोना<br />
<br />
अंकल , आंटी ,दादाजी ,दादीजी सब मुस्कुराएत<br />
मुदा काका के बिगड़ाई सुनब कोना<br />
<br />
करीना , दीपिका , आलिया ,हेमा सब के देखब<br />
मुदा घोघ में नुकाएल भौजी देखब कोना<br />
<br />
कोकाकोला , ठंडाई , शराब , बियर सबटा भेटत<br />
मुदा काकीमौसी के हाथक बेलक शरबत भेटत कोना<br />
<br />
प्रॉन , पैम्फलेट, आर आंध्रा ता खूब खाइत छी<br />
मुदा पोखैर महक कवई भेटत कोना<br />
<br />
एसी ,कूलर ,फ्रिज त खूब ठंडा राखत<br />
मुदा पछवा हवा के झोंक भेटत कोना<br />
<br />
बाउ यौ ! संखमरमर त देने छियै घर में<br />
मुदा पुबरिया घरक माटिक सुगंध भेटत कोना<br />
<br />
निगमबोध घाट त भेट जाएत<br />
मुदा बाबाक सारा कात में सुतब कोना<br />
<br />
<br />
एस के झा </div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-84943855531409061612013-08-26T01:38:00.000-07:002013-08-26T01:38:09.731-07:00 चांदनी बेगम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बदरंग सी दोपहर ठहरा हुआ सा दिन <br />
एकाकी जीवन में थकता हुआ सा मन <br />
<br />
सुबह की हलचल ,रुकता हुआ सा दिन <br />
अलसाई जीवन में थकता हुआ सा मन <br />
<br />
क्षण क्षण प्रतिक्षण धूमिल होता दृष्टिकोण<br />
समय के प्रहार से टूटता हुआ सा मन <br />
<br />
पूस की रात,फागुन के रंग अभी-अभी ,चैत के दिन <br />
सावन के बाद अब तक ,तरसा हुआ सा मन<br />
<br />
भयावह रात की स्मृति धूमिल करते दिन <br />
दिवस की अवहेलना ,प्रण करता हुआ सा मन<br />
<br />
सास बहु के शोर से अच्छी हैदर की कलम<br />
उसाँसे भरी जीवन में थकता हुआ सा मन'<br />
<br />
चलो "हैदर" ने फ़िर से स्वप्निल किया है दिन <br />
चांदनी बेगम की लकीरों से खुलता हुआ सा दिन <br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDOGNhr10Gkpq2aoJSQl-MQkO-b8m69DkummqzSZXRf2GNXPnYRHCmYU8xAyxxGcZA3WHjtlfyqbZwggv_8UCM0OBvrbAz7rWT_1U2s1X7Ys4ab26XRRNGKDQJ7oeEwPskO1F8pwKCV0O0/s1600/Ekaki.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" osa="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDOGNhr10Gkpq2aoJSQl-MQkO-b8m69DkummqzSZXRf2GNXPnYRHCmYU8xAyxxGcZA3WHjtlfyqbZwggv_8UCM0OBvrbAz7rWT_1U2s1X7Ys4ab26XRRNGKDQJ7oeEwPskO1F8pwKCV0O0/s320/Ekaki.jpg" width="213" /></a></div>
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-82576563794543524982013-07-25T03:06:00.001-07:002013-07-25T03:06:03.902-07:00मेरी बिटिया जो आज से कॉलेज जाने लगी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
है कोई बात जो , आज करा रही एहसास<br />
फलसफा है या है एक नयी जिंदगी की शुरुआत !<br />
<br />
जूते के फीते बांधे ,बैग लिया ,कपड़ों को निहारा<br />
माँ को बाय कहा ,और तेज़ी से निकल गयी<br />
<br />
एक नयी ऊँचाई पर नया क्षितिज बनाने <br />
इस नए क्षितिज पर नया सपना संजोने <br />
<br />
शुरुआत की कुछ कच्चे पक्के एहसासात होंगे <br />
इन एहसासों की नीव पर कुछ ज़िन्दगी के उसूल होंगे <br />
<br />
इन उसूलों पर चलके चाँद छूने की जिद होगी <br />
फूल सी जान को कांटो पर चलने की शब् होगी <br />
<br />
हर एक शुबह एक नयी मंजिल होगी <br />
फिर शाम ढले मंजिल को छूने का शबब होगा <br />
<br />
इन मंजिलों के बाद चाँद पर उसका इख्तियार होगा <br />
फिर चाँद होगा सितारों की बारिश में पाँव के नीचे जमीं होगा <br />
<br />
फिर तेरी ऊंचाइयों के चर्चे मेरी जुबान पर होगा<br />
और माँ तेरी खामोश रहकर हर पत्थर की सजदा करेगी <br />
<br />
<br />
<br />
<h2 style="text-align: left;">
एस . के .झा
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1qccZWUB8JQx1hcmG3EBUyMJEaoxNLC95KjQ870kmpzBeKIhOgJ6CiapWRDIUuHB8k7BBJ8g-2nDoYMOX94KVOdybIRvO1t50yWlKzGVrAyGbOPD3WKrX1_STfcENo4DSqb94dDaFAHKJ/s1600/First+Day.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img bba="true" border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1qccZWUB8JQx1hcmG3EBUyMJEaoxNLC95KjQ870kmpzBeKIhOgJ6CiapWRDIUuHB8k7BBJ8g-2nDoYMOX94KVOdybIRvO1t50yWlKzGVrAyGbOPD3WKrX1_STfcENo4DSqb94dDaFAHKJ/s1600/First+Day.jpg" /></a></div>
</h2>
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-47506636251376668462013-04-26T02:34:00.000-07:002013-04-26T02:34:04.867-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
"मेरी बदजुबानी से कैसा तूफां उमड़ आया <br />
फिर आँखों से तेरी आंसू का सैलाब उमड़ आया ,<br />
<br />
कहना था कुछ , कह कुछ मैं और आया <br />
या अल्लाह ! यह तीर फिर तेरे दिल को चीर आया ,<br />
<br />
शौक़ था ,तेरी ख़ुशी लाने मैं बाज़ार गया <br />
ख्वामखाह ,मैं फूल समझ कांटे उठा लाया ,<br />
<br />
रोशन हो तेरी राह ., यह सोचकर मैं शमा जला आया <br />
मुड़ के देखा ,यह क्या ,मैं आग का दरिया बहा आया ,<br />
<br />
बुलंद करने तेरे सितारों को मै आसमां झुका लाया <br />
ऊफ्फ ! यह क्या ,मैं खुद अपना कफ़न ओढ़ आया <br />
<br />
आबाद तेरा गुलशन रहे ,यह मेरी इबादत "सुमन"<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjAhvk1XxRI6q_F-Vpf-gjmZxwVvZDtsVppS4yUFW8D6oRYdc919iHd2P9ETXpfbe8G9w4P9xsDCPFO8XYaW21kV1Tx6mxovhH9-S0zqrz8zZVIAP5G_70FNTOeqgiumylFGacLFlOg2pP-/s1600/exam-stress.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="243" psa="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjAhvk1XxRI6q_F-Vpf-gjmZxwVvZDtsVppS4yUFW8D6oRYdc919iHd2P9ETXpfbe8G9w4P9xsDCPFO8XYaW21kV1Tx6mxovhH9-S0zqrz8zZVIAP5G_70FNTOeqgiumylFGacLFlOg2pP-/s320/exam-stress.jpg" width="320" /></a></div>
यह अलग बात है ,तेरी बेरुखी का इलज़ाम मिरे सिर आया !!</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-55361659689992914652013-04-19T07:39:00.002-07:002013-04-19T07:39:53.151-07:00इंतज़ार <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इस बार छुट्टि<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjLJ_TvuA1lIaXQhnCKdfiV4Kv-bTpFguAraQinqIyNDdBKLvOE36ekFX6qxaZ7MS8ULdpHYxykEhOzMzz2PE_DTqgsTbHQunPGfp8n8zT34hRkfuuKdQOFfY5RIbYg8Pzs5oAHzU25mdcl/s1600/cool-oil-painting-of-south-indian-girl-sitting-inside-house-and-2-parrots.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" dua="true" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjLJ_TvuA1lIaXQhnCKdfiV4Kv-bTpFguAraQinqIyNDdBKLvOE36ekFX6qxaZ7MS8ULdpHYxykEhOzMzz2PE_DTqgsTbHQunPGfp8n8zT34hRkfuuKdQOFfY5RIbYg8Pzs5oAHzU25mdcl/s320/cool-oil-painting-of-south-indian-girl-sitting-inside-house-and-2-parrots.jpg" width="320" /></a></div>
यों में गाँव जरूर जाना <br />
माँ से मिलना बाबा से आशीष लेना <br />
<br />
सुना है बेटी अब कॉलेज जाने लगी <br />
<span style="color: orange;"><span style="color: black;">बेटा</span> </span>भी सुना अब जिम्मेवार हो गया है <br />
<br />
अब तो इस बार जा ही ही सकते हो <br />
जरूर जाना , इस बार गाँव,जरूर आना<br />
,
सुना है ,माँ के आँखों की रौशनी कम गयी है <br />
बाबा भी अब चल फिर नहीं पाते <br />
<br />
माँ से मिलना, उनकी सुनना, अपनी सुनाना <br />
बाबा से भी मिलना ,भरोसा दिलाना <br />
<br />
सुना है ,तिरे शहर में रातों को उजाला रहता है <br />
गाँव जाना,रातों में ,जुगनुओं को जरूर बताना <br />
<br />
सुना है क़त्ले आम अब तिरे शहर में आम हो गया <br />
गाँव जाना ,भूल कर भी मगर यह जिक्र न करना <br />
<br />
सुना है तिरे शहर में रिश्ते भी लहूलुहान हो गए <br />
बड़ों से मिलना और अपने होने का एहसास दिलाना <br />
<br />
सुना है ओस की बूंदे चुनते चुनते देर हो गयी <br />
गाँव जाना ,नदी के किनारों से मुआफी माँगना <br />
<br />
गाँव जाना शाम को आसमां से बातें करना <br />
शहर की रफ़्तार को कोसना और उससे सकून उधार लेना <br />
<br />
हाँ ,महंगी न सही ,कुछ टॉफियाँ जरूर ले लेना <br />
बच्चों को बुलाना ,उन्हें देना ,उनकी खुशियाँ पढ़ना <br />
<br />
एस . के .झा <br />
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-83330560308917035042013-01-06T05:32:00.000-08:002013-01-06T05:32:29.499-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
झुक गया फिर एक बार शर्म से मेरे नयन <br />
हो गया उसके लहू से शर्मशार फिर यह गगन<br />
<br />
है क्षितिज में चन्हुओर यह ममता का आर्त नाद<br />
झुक गयी है धरतीं देख फैलता यह करुण क्रांत <br />
<br />
है किसका यह दोष् मोहन कब लोगे अवतार फिर <br />
कब होगा सुरक्षित अब द्रौपदी का चीर फिर <br />
<br />
एक ध्रितराष्ट्र के लिए तुमने रचा वह घोर युद्ध <br />
उकसा रहा है फिर तुम्हे फिर से रचो वह घोर युद्ध <br />
<br />
<br />
कांपती है यह धरा अब अपने ही आंसुओं के भार से <br />
जीर्ण विदीर्ण पड़ी है वह लाल होकर अपने लहू से <br />
<br />
होगा पतन कुछ इस तरह से सोच सकता है न कोई <br />
गार्त होगा कुछ इस तरह से सोच सकता है न कोई <br />
<br />
लेकिन चली अब ऐसी हवा है दुशाशन की अब ख़ैर नहीं <br />
दुर्गा ने अब लिया मोर्चा रक्तबीज की अब खैर नहीं <br />
<br />
"निर्भया" होकर लड़ी वह ज़िन्दगी से जूझती <br />
मौत था स्तब्ध खड़ा और ज़िन्दगी भी झांकती <br />
<br />
वक़्त भी थम सा गया था देश भी रुक सा गया था <br />
हर लबों पर नाम था बस एक अकेली "दामिनी"<br />
<br />
गली नुक्कड़ से लेकर क़ुतुब के मीनार तक <br />
रो पड़े थे नाम लेकर तेरा "दामिनी "<br />
<br />
हम सबने संकल्प लिया है तलवार लेकर हाथों में <br />
छीनकर ही लौटेंगे अब खुशहाली तुम्हारी हाथों में <br />
<br />
तुम भी चलो ,हम भी चलें लेकर मशाल इन हाथों में <br />
अब नहीं होगा कभी फिर ऐसा अँधेरा रातों में <br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-58070457996245078322012-11-12T00:29:00.001-08:002012-11-12T00:29:12.708-08:00एक दीपक <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
टिमटिमाती जा रही यह दिए की लौ देखो <br />
बिखरता जा रहा है यह अँधेरा यार दखो <br />
<br />
है अकेला किन्तु जोश कितना इसमें देखो <br />
हार कर चला अँधेरा अब सिमटता यार देखो <br />
<br />
जब तक रहेगा प्राण शक्ति तब तक यह लड़ता रहेगा <br />
क्षीण होती ही रहेगी तम का अब प्राण देखो <br />
<br />
रात भर जलती रहेगी चन्द्र के अवसान तक यह <br />
एक केवल सूरज के तड़प में दिवस के आह्वान तक यह <br />
<br />
सूर्य की जब लालिमा ने छू लिया इसके रगों को <br />
कर दिया इसने विसर्जित अपना यह मन प्राण देखो <br />
<br />
है तिमिर की यह कालसर्प चन्हूओर बिखरी <br />
उसमे अकेला प्रकाश की यह दरबार देखो <br />
<br />
लहर उठेगी एक दिन जब इसकी विजय पताका <br />
हर तरफ होगा उजाला प्रेम का है पर्व देखो <br />
<br />
हम रहें न तुम रहो लेकिन युगों तक इसकी रहेगी उम्र देखो <br />
रहा था ,रहा है,और रहेगा तम समर का यह सतत वीर देखो <br />
<br />
<br />
-एस के झा <br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp6WGCjt3wL1gEGFahLt1mbEyx-PxhQv_-czsbJuW2A9Wt5_QesPicOBnu-Z95xiqHbjLBGktJCL6rFzJ5dTP6mx57s3xxCcRiLN5PHZqoE4wMNu-7vAwbR0kkPrrS3-7OxuMoLnlMdlp7/s1600/Diwali+Diya.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" rea="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp6WGCjt3wL1gEGFahLt1mbEyx-PxhQv_-czsbJuW2A9Wt5_QesPicOBnu-Z95xiqHbjLBGktJCL6rFzJ5dTP6mx57s3xxCcRiLN5PHZqoE4wMNu-7vAwbR0kkPrrS3-7OxuMoLnlMdlp7/s1600/Diwali+Diya.jpg" /></a></div>
</div>
sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-51202295744875788372012-03-01T18:05:00.000-08:002012-03-01T18:06:35.143-08:00अहाँ के नाम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
बहुत दिन भ गिल <br />
मोन लागल अछि <br />
ने कोनो चिट्ठी ने पत्री<br />
ने फोने ने समाद<br />
कोनो समाचार नहि <br />
गोसाविन घर में बैस के <br />
बाट तकैत छी <br />
<div style="text-align: left;">
<em>हम त एस्कर भ गेलहुं </em></div>
फगुआ में सबहक अबैया छै<br />
अहाँ टा के कोनो खबर नहि<br />
रंग अबीर स डर होइत अछि <br />
मोन सशंकित भेल अछि <br />
लोकक दृष्टि से बदलि गेली<br />
<em>हम त एस्कर भ गेलहुं </em><br />
<em></em><br />
<br />
गेरुआ खोल पर जे गुलाबक फूल छल <br />
तकर रंग उडि गेल <br />
अहाँक नाम बला जे रुमाल छल<br />
से फाईट गेल <br />
जट्टा - जट्टिन से बदरंग भ गेल<br />
कनिया पुतरा सब बेकार भ गेल<br />
ख़ुशी त मानु अतीत भ गेल<br />
<em>हम त एस्कर भ गेलहुं </em><br />
<br />
आँगन में जे जोड़ा गुलाब छल से मुरझा गेल<br />
भनसा ओसारा पर जे सुग्गा छल से कतहु चल गेल <br />
पछुआर बाला बच्चा सभ आब नहि अबैत छथि<br />
एकाकी में जीवन के अभिशाप भोगित छि <br />
हम त एस्कर भ गेलहुं <br />
<br />
बलान के कछार पर जे नाम लिखने रही<br />
से मिटा गेल<br />
होइत छल जे ओ ताजमहल जकां रहत<br />
मुदा ओ त पाइन से मिटा गेल <br />
हम त एस्कर भ गेलहुं <br />
<br />
<br />
गामक जरदालू गाछ <br />
पर लिखल नाम मुदा औखन अछि <br />
ओकरा पाइन बिहारि नहि मिटा सकलहि <br />
एही अवलंब अछि<br />
अहाँ आएब आर जरूर आएब <br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPRUIr6AJp6vLBHDv32mZO98y_ROw2NkpXbkHaaIkjfCnew5yEcgAj4j04PCUya_s4N-LM-3g9OupVJN4Rpf_R83640ZclAwr9qjv1F_p8Xn0JneDpdIkI96BY4rTD5GqqgGhMVb_04HyF/s1600/bride-191-L.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="319" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPRUIr6AJp6vLBHDv32mZO98y_ROw2NkpXbkHaaIkjfCnew5yEcgAj4j04PCUya_s4N-LM-3g9OupVJN4Rpf_R83640ZclAwr9qjv1F_p8Xn0JneDpdIkI96BY4rTD5GqqgGhMVb_04HyF/s320/bride-191-L.jpg" uda="true" width="320" /></a></div>
इति <br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-25383343938268772982012-02-14T23:53:00.000-08:002012-02-14T23:53:18.943-08:00घुरि आऊ गाम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
ठाड़ छी घरक पछुआर में </div>
<div style="text-align: left;">
बस्बिट्टी लग </div>
<div style="text-align: left;">
बांस आब नै,खाली जमीन छै,</div>
<div style="text-align: left;">
दूर देखैत छि कलम बाग़ </div>
<div style="text-align: left;">
सेहो आब कम भ गैलाई<br />
खाली घर सब देखि रहल छि<br />
घरक कात से </div>
<div style="text-align: left;">
आवाज़ आयेल,बसंता हर ल </div>
<div style="text-align: left;">
के जाईत ऐछ .</div>
<div style="text-align: left;">
मुदा नहि</div>
<div style="text-align: left;">
ई भ्रम छल</div>
<div style="text-align: left;">
बसंता आब गाम में नहि</div>
<div style="text-align: left;">
रहैत ऐछ,अलीगढ गेल अछी कमाई लेल<br />
आब गाम में हर नहि चलैत छैक<br />
ट्रक्टर चलैत छैक <br />
खलिहान दिस गेलौं<br />
लागल जेना गामक किछु काका<br />
लोकिन एलाह अछि<br />
<div style="text-align: left;">
मुदा खाट त ख़ाली पडल अछि </div>
खलिहान दिस सेहो क्यों नहि<br />
ख़ाली खलिहान,खाली दरवाज़ा <br />
<div style="text-align: left;">
अचानक स्तब्ध भ</div>
<div style="text-align: left;">
ठाड़ भ गेलहुं </div>
<div style="text-align: left;">
की हम गाम में छि </div>
<div style="text-align: left;">
या कतहु परदेस में </div>
<div style="text-align: left;">
आब खेत में बाबा मेघडम्बर <br />
<div style="text-align: left;">
ल के खेतक आइर</div>
<div style="text-align: left;">
पर नहीं रहित छैथ </div>
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
आब गाम में आँगन में हुड दंग नहि<br />
नेन्ना भुटका के </div>
</div>
<div style="text-align: left;">
गाम में अन्हरिया राईत में </div>
<div style="text-align: left;">
भगजोगनी नहीं पकडैत छैक<br />
नेन्ना भुटका सब </div>
<div style="text-align: left;">
आब क्यों काका काकी ,बाबा बाबी <br />
खिस्सा नहि सुनबैत छैक<br />
नेन्ना भुटका के<br />
आब गाम में दर्द नहीं छैक अनका लेल <br />
आब गाम में सिनेमा हॉल छैक <br />
आब गाम में शीशा बाला दुकान <br />
आब गाम में शराबक भट्ठी सेहो छैक <br />
अचानक दाई शोर पारै छैथ</div>
</div>
</div>
<div style="text-align: left;">
घुरि आऊ बाऊ यौ</div>
<div style="text-align: left;">
क्यों नहि भेटत आब </div>
<div style="text-align: left;">
गाम आब किदन भ गेले</div>
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
</div>
</div>
</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
</div>
</div>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-89710341963486317872012-02-02T00:58:00.000-08:002012-02-02T01:01:14.938-08:00बसंत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कब आयेगा बसंत रे सखी <br />
कब होंगे मेरे पात हरे<br />
कब आयेंगे पंछी तरु पर <br />
कब होंगे मेरे साथ सखे<br />
<br />
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
अवरोध बना खड़ा मैं झांकता </div>
</div>
<div style="text-align: left;">
उस असीम को अपलक निहारता<br />
जिस आँचल में खग ब्रिंद भागते </div>
<div style="text-align: left;">
थकते तो मुझमे चुप जाते,<br />
<br />
<div style="text-align: left;">
कभी खोजता उस पथिक को</div>
<div style="text-align: left;">
जिसने अपनी रैन बितायी</div>
<div style="text-align: left;">
ऐसा क्या है मैं इतनी परायी</div>
<div style="text-align: left;">
कभी न कोई मेरी सुध ही लेता</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
नितांत अकेला खड़ा स्तब्ध मैं\</div>
<div style="text-align: left;">
सूरज की गर्मी में तपता<br />
<div style="text-align: left;">
पतझड़ की ये हवा के झोंके </div>
<div style="text-align: left;">
हर क्षण ,हर पल,भय दिखाता</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
परित्यक्त पड़ा मैं अपने घर में</div>
<div style="text-align: left;">
एकाकी के क्षण को गिनता</div>
<div style="text-align: left;">
राहगीर की बैमनास्यता</div>
<div style="text-align: left;">
मेरे दिल की घाव बढ़ाते</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
यह दुःख भी क्षण भंगुर सखी री</div>
<div style="text-align: left;">
जीवन फिर होगी खुशहाल</div>
<div style="text-align: left;">
नयी टहनियों पर फिर फुद्केंगे </div>
<div style="text-align: left;">
छोटे चुलबुल चोंच चकोर</div>
<div style="text-align: left;">
हरे ड़ाल पर, हरे पात पर नव जीवन का संचार</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
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<br /></div>
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<a href="http://www.blogger.com/">\\\</a></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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</div>
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<br /></div>
</div>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-71227943282651397382011-03-15T08:30:00.001-07:002011-04-07T10:19:01.799-07:00सानिध्य से अवकाश<div align="justify">लो आ ही गया वह क्षण प्रिये,</div><br /><div align="justify"><span class=""></span><span class=""></span>अपने लम्बे सानिध्य से अवकाश प्रिये,</div><br /><div align="justify">कुछ जीवन की आवश्यकता ,</div><br /><div align="justify">कुछ कर्त्तव्य का बोध, अस्वीकार्य किन्तु अपरिहार्य प्रिये। </div><br /><div align="justify">अपने लम्बे सानिध्य से अवकाश प्रिये, </div><br /><div align="justify">जीवन के <span class="">इस </span>कठिन मोड़ पर , </div><br /><div align="justify">हर निर्णय है एक परिणाम प्रिये, </div><br /><div align="justify">निर्विकार सा खड़ा हूँ,किसकी सुनूं इस क्षण, </div><br /><div align="justify">अपने हृदय की या फिर मस्तिष्क का , </div><br /><div align="justify">दोनों हैं अपने निर्णय पर अडिग <span class="">प्रिये,</span> </div><br /><div align="justify"><span class=""></span><span class="">अपने <span class="">सानिध्य</span> से अवकाश प्रिये,</span> </div><br /><div align="justify">कितना क्षणभंगुर रहा अपना लम्बा साथ प्रिये, </div><br /><div align="justify">अभी तो थी शुरुआत अभी देखो यह समाप्त प्रिये, </div><br /><div align="justify">अपने सानिध्य से अवकाश प्रिये, </div><br /><div align="justify">अवचेतन मन को यह आभास नहीं, </div><br /><div align="justify">जो पास थे अब पास नहीं,</div><br /><div align="justify">एक हवा का झोंका जैसे देता इस अस्तित्व का एहसास प्रिये, </div><br /><div align="justify">अपने सानिध्य से अवकाश प्रिये, </div><br /><div align="justify">अब तो केवल प्रतीक्षा है करना प्रिये </div><br /><div align="justify">इस अवकाश के बाद पुनः अपना सानिध्य प्रिये। </div><br /><div align="justify">आओ एक दुसरे के लिए शुभकामना करें ,</div><br /><div align="justify">सुखमय और सफ़ल हो हम दोनों का अवकाश प्रिये। </div>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-56985361748546689602010-12-30T07:38:00.000-08:002011-01-04T16:39:23.802-08:00नव वर्ष की शुभकामना<p>प्राची की नव किरण,नव पुकार जगत का <span class=""></span></p><p>नव -नव क्षितिज पर नव श्रृंगार समय का,</p><br /><p>नव है जीवन की परिभाषा नव लहू यौवन का </p><br /><p>रश्मिरथी बन कर आई है नव वर्ष जगत का ।</p><br /><p>श्रृष्टि के हर अंश में हो , नव संचार सृजन का, </p><br /><p>धरा के कण-कण में हो उन्माद हर कम्पन का</p><br /><p><span class="">मानव के जीवन में हो हर पल अब सुख का</span></p><p><span class="">जीवन के उत्सव में हर क्षण अब आनंद का </span></p><p><span class=""></span></p><br /><br /><br /><p><span class=""></span></p><br /><br /><br /><p><span class=""></span></p><br /><br /><br /><br /><p></p><br /><br /><br /><br /><p><span class=""></span></p><br /><br /><br /><br /><p></p>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-79640103245727569942010-12-18T19:14:00.000-08:002010-12-18T19:14:02.403-08:00Ramashish Baghi Azamgarh Mahuaatv Sur Sangram<iframe src="http://www.youtube.com/embed/QM-UcMok1zo?fs=1" frameborder="0" width="425" height="344"></iframe>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-68174590472596643332010-11-25T17:13:00.000-08:002010-11-26T17:12:49.235-08:00बदलता बिहार<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&suchak=ha" title="नई प्रविष्टियाँ सूचक"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pravashthiyasuchak.gif" width="125" height="30" /></a>बिहार का रिजल्ट आ गया है .ख़ुशी का माहोल है ,कुछ घरों में छोड़ क़र.नितीश कुमार को लोगों नें एक बार फिर बिहार चलाने का जनादेश दिया है.पिछली बार सड़के बनी इस बार कारखाना बने और रोज़गार मिले इस उम्मीद में .सारे समीकरण ,चाहे वोह जाति के हों या अगड़े- पिछड़े का सब बेकार हो गये. बिहार को एक छोटी सी किरण विकास की दिखी और लोग उमड़ पड़े वोट देकर जिताने में।<br />सभी क्षेत्र में थोडा-थोडा विकास हुआ,आधारभूत संरचना,शिक्षा,कानून व्यवस्था और आर्थिक क्षेत्र में लेकिन बहुत दूर जाना है अभी.अगले पांच साल में इस सरकार को बहुत कर दिखाना है नहीं तो अगले चुनाव में सूपड़ा साफ़।<br />लालू न सामाजिक न्याय के नाम पर बिहार को गन्दा नाला बन कर छोड़ दिया था।<br />मुझे याद है किस तरह लालू की बेटी की शादी में पुरे पटना में दुकानों को लूटा गया.किस तरह साधू और सुभाष यादव पुरे राज्य में पैसा लूटने का कारोबार चला रहे थे.लोगों में आक्रोश था और नितीश जी ने कम से कम अपने आप को इस लूट तंत्र का हिस्सा नहीं बनने दिया है।<br />इन सब बातों का जिक्र इस ख़ुशी के माहोल में जरूरी नहीं केवल ये दुआ की बिहार सबसे अच्छे राज्यों में शुमार हो।<br /><br />शुभकामना सारे बिहारवासियों को बिहार को अपना घर स्वीकारने वालों को.sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-41672600278368324202010-11-17T14:05:00.000-08:002010-12-04T23:36:19.840-08:00अवसान<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&suchak=ha" title="नई प्रविष्टियाँ सूचक"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pravashthiyasuchak.gif" width="125" height="30" /></a>निस्तब्ध था आकाश , और स्थिर्तम <span class="">धरा </span><br />देख <span class="">अपने </span><span class=""><span class="">चन्द्र </span>नें </span>, है यह कैसा रूप <span class="">धरा </span><br />क्यों चमक फीकी पड़ी इस चाँद की,<br />क्यों शून्य में झांकता है यह खड़ा<br /><span class=""></span>क्या पंहुच इसकी हुई है <span class="">दूर,</span> उस बाल मन से<br />या <span class="">मनुष्य </span>ने है <span class="">किया,</span> कोई नया दीवार खड़ा,<br /><span class=""></span> क्या ढूंद्ता है यह पुकार "चंदा मामा" का,<br /><span class=""></span>या है यह ढूद्ता उस सांवरिया को जिसकी सजनी <span class="">है "</span>चंद्रमुखी"<br />है यह कैसी काली चादर ओढ़ी इस धरा <span class="">ने,</span>क्यों है अपनी अद्भुत रूप छुपाती ,<br />क्या विकृत किया हैं मनुष्य ने, या लूटी किसी ने इसकी हरीयाली ।<br /><span class="">शोर से विचलित हो शिशु भूल गया चंदा मामा को </span><br /><span class="">चकाचोंध में खोकर सांवरिया भूल गया चंद्रमुखी को </span><br /><span class="">भयभीत खड़ा यह चन्द्र देखता अपने पतन को </span><br /><span class="">शायद अवसान समीप हो चला इस ब्रह्मान्ड का </span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-81883072307556890892010-09-16T17:59:00.000-07:002010-09-19T03:40:38.112-07:00जन्मदिन मुबारक<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha" <br />title="पर पसंद करें"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" <br />height="30"></a>दिवस की उस अरुणिम बेला में थे तुम आये,<br />सुवासित करने जीवन के मृदु पलों को तुम आये,<br /><br />पुलकित हृदय अश्रुपूर्ण नयन आलिंगन जननी का<br />शुंभाशीष शुभाशीष आह्लादित आँगन।<br /><br />तुम ही हो जीवन के केंद्रबिंदु पर<br />सुभगे तुम ही जीवन के हर निर्णय पर.<br /> .<br />दिन महीने साल बीत कर लाया तुम्हे वयः संधि पर ,<br />आशंकित मन व्यथित हो जाता तुमसे बिछुड़कर।<br /><br />मेरी यही कामना सुभगे तुम सफल हो जीवन पथ पर,<br />bar -बार यह जन्मदिन आते रहे अनंत बार।<br /><br />(मेरी पुत्री को जिसका आज जन्म दिन है)sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-47342235696702026442010-09-02T08:12:00.000-07:002010-09-08T18:18:46.874-07:00<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha" title="पर पसंद करें"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" height="30" /></a><br /><p align="justify">स्वप्नदंश या मरीचिका ,निर्झर बताओ यह जीवन क्या है ,</p><p align="justify">तेरी अविकल धार या अकाल मृत्यु <span class="">का </span>आँगन ,निर्झर बताओ यह जीवन क्या है।"</p><p align="justify">सीता का वनवास,या राधे की आस,</p><p align="justify">द्रौपदी की दुविधा या देवयानी का ताप,</p><p align="justify">निर्झर बताओ यह जीवन क्या है </p><p align="justify">उस अबोध का मृत्यु <span class="">ह्रास,</span> जिसने देखे कुल चार बसंत</p><p align="justify"><span class="">या उस ममता का अनंत आर्त नाद ,जिसने दिया जीवन अनंत,</span></p><p align="justify"><span class=""> </span></p><p align="justify"></p><p align="justify"></p><br /><p align="justify"><span class=""></span></p><br /><p align="justify"></p><br /><br /><br /><p align="justify"></p><span style="font-family:times new roman;"></span><br /><br /><br /><p align="justify"></p><br /><br /><br /><p align="justify"></p><br /><br /><br /><p></p>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-28313496733718728462010-08-28T19:22:00.000-07:002010-08-28T21:24:29.452-07:00निःशब्द<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha" title="पर पसंद करें"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" height="30" /></a><br />सांझ सवेरे हवेली की देहरी पर बाट जोहती माँ,<br />अपने ही जाये की आस में राह जोहती माँ,<br /><br />अपने आप पर अबिस्वास की लकीर खींचती माँ,<br />ज़िन्दगी से हारी लगती है यह अपनी माँ,<br /><br />कितना छोटा था वह जब जन्म दिया था उसको<br />लगता नहीं की अब कभी ,फिर पाउंगी उसको<br /><br />अपनी नन्ही हाथों में चावल की बगिया लिये<br /><span class="">मिटटी में खेलता रहता गिलास में पानी लिये,</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">माँ की लोरी सुन कर वह खो जाता था सपनो <span class="">,में ,</span></span><br /><span class="">माँ और चंदा मामा ही थे उसके अपनों में,</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">उसका सुख ही अपना सुख था,उसका दुःख ही माँ का दुःख</span><br /><span class="">उसकी आँखों से हंसती थी वह और उसकी ही आँखों से rothi </span><br /><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class="">सब कुछ गँवा दिया माँ ने </span><span class="">हंसी सहेजकर उसकी</span><br /><span class="">और क्या बांकी रहा था झोली में उसकी </span><br /><br />गया था जब से वह अपने माँ से दूर<br />सुध न ली थी उसने, उस जननी को भूल<br /><br />बैधाव्य से श्रापित वह करती थी आस<br />अब किन्तु विधाता से ही उसकी आस,<br /><br />एक दिन पड़ी मिली वह ,देहरी के बहार ,<span class="">हाथ </span>में चिट्ठी फँसी थी<br /><span class=""><span class="">ankhen खुली</span> थी आस में </span><br /><span class=""></span><span class="">aayega nahin wah अब कभी लौट के उसके पास बहती नहीं अब माँ का साथ </span><br /><span class=""></span><br />सब झूठ लिखा मुन्नवर राणा न<br /><span class="">"जी करता है फिर से फरिश्ता बन जाऊं,</span><br /><span class="">माँ से इतना लिपट जाऊं की बच्चा बन जाऊं"</span><br /><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><br /><br /><br /><br /><span class=""></span>sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-2335702473549294272010-08-15T03:30:00.000-07:002010-08-15T04:15:26.359-07:00नौकरीसमीर वापस गाँव आ रहे हैं.आज सुबह माँ का फ़ोन आया था.बल्कि दुबारा फ़ोन कर के उन्होंने बताया था.नयी दिल्ली की ज़िन्दगी शायद अब उसे रास नहीं आ रहा है.शायद द्सेक साल से वह रह रहा था दिल्ली में.दस सालों में उसकी तनख्वाह भी दसहजार पार कर चुकी थी.परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं इसके अलावा जो साधरण लोग दिल्ली में रहते हैं उनके यहाँ गाँव से भी एक-दो मेहमान की उपस्थिति हरेक महीने होती रहती है.मैंने साधारण लोग इसलिए कहा क्योंकि साधारणतया गाँव के लोग बड़े और पैसेवाले के यहाँ जाना पसंद नहीं करते क्योंकि उन्हें अपना सा नहीं लगता या इसके बहुत सारे कारन है जिसकी गहराई में जाना शायद बेकार होगा.बच्चों के स्कूल का खर्च और दिल्ली में रहने का खर्च शायद अब पूरा नहीं हो पता.घर तो उसने बदरपुर के आस-पास किसी गाँव में बना लिया है फिर भी वह अपने को असहज मह्सूस कर रहा है.घर बेच कर वह वापस आ रहा है.क्या बिहार के लोगों को डॉक्टर,इंजिनियर या आईएस के अलवा कोई काम करने की नियति नहीं है.क्यों नहीं वह बाज़ार के साथ चल पा रहे हैं.पिज्जा हट,जैसी संस्थओं मेंछोटी नौकरी शुरू कर के लड़के काफी पैसा बना लेते हैं और आगे अच्चा ही करते जाते हैं.लेकिन हमारे प्रान्त के बच्चे ऐसा नहीं कर पाते हैं.या तो अच्छे बुध्धिजीवी बन जाते हैं या फिर बेरोजगार.प्रचलन इसी तरह का है अपवाद तो कुछ होंगे ही.मुझे इसका एक बड़ा कारण परिवार भी लगता है.पूर्व भारत में अभी भी संयुक्त परिवार जैसा माहौल है.लोग अपने नजदीकी परिवार की जिम्मेदारी लेते हैं और महिलाओं का योगदान आर्थिक रूप में अभी भी बहुर कम है.शिक्चा महिलाओं में अभी भी कम है और उनका योगदान घर के बहार कुछ नहीं है.गाँव में कृषिप्रधान माहौल है और लोग व्यापार की तरफ बढ़ नहीं पाए हैं.बिहार में जो शिक्षित हैं वह काफी शिक्षित हैं जो नहीं हैं वह पिछड़े हैं.सर्वसाधारण लोगों में नौकरी का मतलब बड़ी ओहदे वाली नौकरियां ही हैं उसमे न होने पर वह बेकार रह जाते हैं.मुझे कभी-कभी पान की दुकनो पर मार्क्स पर चिंतन वाले लोग मिले हैं और उनका ज्ञान देख जर मुझे यह लगता है वह किसी संस्था के लिए धरोहर बन सकते थे लेकिन उनके पास उन नौकरियों का कोई महत्व नहीं है।<br />जो भी हो गाँव से गया एक नौजवान वापस आ रहा है शायद पलायन उसे पसंद nahisumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-40785088165881970402010-07-18T08:59:00.000-07:002010-07-23T18:15:55.799-07:00बरातदामाद विष्णुतुल्य होता है.कैसे कोई उससे पहले पैर धुला सकता है,मैं तो सोच भी नहीं सकता कि पैसा किसी को इतना अँधा बना देगा ,सारे सम्माज में थू-थू हो रही है आज काशी बाबु का और दामाद भी तो बारात छोड़ कर बिना कुछ खाये पिये वापस आ <span class="">गए। </span>क्या कहूँ सुशील की <span class="">मां,</span><br />मेरी इच्छा तो दामाद के साथ लौट आने की थी लेकिन घर की बात थी.मन मार कर खाना खाया हमने । सुबह तक पुरे गाँव में यह गनगना गया की गौरी बाबु के बेटे की शादी से उनके भाई का दामाद बिना खाए-पिए लौट आया.गौरी बाबु इन बातों को भूल कर बहु के स्वागत में लगे थे लेकिन पटिदारी में बहुत आक्रोश था.कोई भी घर के ख़ुशी में शामिल होना नहीं चाह रहा था.लोग बारात के भोजन की चर्चा दबी जुबान से कर रहे थे और दामाद के अपमान का जोरों से.रस्गुल्ले का स्वाद अभी भी उन सभी को उद्वेलित कर रखा था.किसी ने ५० खाया,किसी ने १०० खाया और किसी ने खाने के साथ-साथ बाज़ी भी जीती ज्यादा खाने की.आते समय किसी ने गर्दन में ऊँगली डाल कर भोजन बाहर किया और कोई मज़े में वापस आया.लेकिन दामाद ने खाना नहीं खाया इसकी चर्चा वापस आने पर ही शुरू हुई।sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-87773116687033223662010-07-10T17:11:00.000-07:002010-07-11T02:27:42.868-07:00समाधान<span class=""><a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha" title="पर पसंद करें"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" height="30" /></a>नक्सल्वाद</span> अब दूसरा रूप लेता जा रह है.अपने देश में स्वीकार्यता एक बहुत बड़ी समस्या है.ऐसे विषयों पर सभी पक्षों का सहमति होना और सभी पक्षीं द्वारा इससे राज़नींतिक लाभ की कोशिश इस समस्या को एक बहुत ही गलत दिशा में ले कर जा रहा है.जिस तरह से आतंकवाद से इस्लाम का भला नहीं हो सकता लाल सलाम से माओवादियों का भला नहीं हो सकता.<span class="">अब </span>माओवादी आन्दोलन का उद्देश्य कहीं गुम होता जा रहा है पैसो के बाज़ार में.अब माओवादी ,रंगदारी में ज्यादा बिश्वास रखते हैंक्योंकि <span class="">सिद्धातों </span>के अनुशरण से पेट की भूख नहीं जाती .आये दिन सर्वसाधारण लोगों की हत्या समस्या का समाधान कम और मुश्लिक्लें ज्यादा बढ़ाएंगी।<br />सरकार इन नौजवानों को बिना किस शर्त नौकरी दे और नए कबाड़ी जो आज कल उद्योगपति बनते जा रहें हैं उनको इसी शर्त पर कारखाना लगाने दें की वोह इन लोगों को हर तरह की सुविधा दें. पूरा देश क्या इन उद्योगपतियों के नाम गिरवी रख दी जायेगी.शाले,आज से कुछ दिन पहले कबाड़ का काम करते थे और आज टाटा बनने चले हैं.इनकी मुनाफे के जड़ में असली शोषण है और पैसे के बल पर यह सरकार बने बैठे हैं.वोह पैसा भी इनके बाप का नहीं है यह पैसा भी हम आप जैसे कामचलाऊ लोगों की है.जरूरत है इन सभी को देश के हित में काम करने का,जो सरकार नहीं करा पति है.sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-20164747144485478602010-06-29T05:31:00.000-07:002010-07-06T08:35:32.344-07:00एक रात वैसी ही<span class=""><a class="transl_class" id="0" title="<span title=">पर</span></a> पसंद करें" href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha"><img height="30" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" border="0" />वह</span> भी सावन की एक रात ही थी.सावन क्रुश्नपक्ष <span class="">द्वितीया.</span>हाथ को हाथ नहीं दिखाई दे और बाहर झमाझम <span class="">बारिश </span>भीत की दीवाल फूस की <span class="">छ्त। </span><span class="">घर </span>अन्दर भी बूंदों का टपकना और प्रायः ऐसे घरों में यह जरूरी है एक छ्त वोहीं टपकती है जहाँ पर बिस्तर हो.मैं,हमारी दादी और घर के एक दो बच्चे ऐसे कोने में बिस्तर पर दुबक कर सो रहे थे.दिया धीमें-धीमे टिमटिमा रहा था। दवा की छोटी खाली शीशी में बना यह दिया जितनी रौशनी दे रहा था उतनी ही धुआं भी फैला रहा था.यह ज्यादा पता तब लगता है जब आप दिन में दिए के ऊपर की छ्त को देखो।यह एक बड़ा सा घर था,जिसमे तीन तखत लगे थे,बीच में एक मोटा खंभा घर के बीचो-बीच में फर्श से छ्त तक लगा था छ्त को सहारा देता हुआ.इस घर में लगा दूसरा तखत दादाजी का हुआ करता था,बिलकुल सुरक्षित.इस बिस्तर पर धोती की चादर कपड़ों के गद्दी के ऊपर बिछा हुआ करता था जो उसकी खूबसूरती बढ़ता था।एक पत्थर सा तकिया भी रहता था इस<span class=""> पर । धान की कोठी (धान रखने के लिए बनाया गया मिटटी का ड्र्म) के ठीक बगल में</span> लगा हुआ यह तखत दादाजी के इस घर या आश्रम का मुखिया पुरुष और दादी के स्वामी होने का प्रतीक भी था.कोई भी पोता या पोती इस तख्ता पर नहीं सोता था।
<br />दादाजी बिस्तर पर करवट लेते हुए कराह रहे थे.गैस की बिमारी ने तंग कर रखा था.उस ज़माने में इस बिमारी का इलाज़ मुश्किल था.चना का सत्तू पीने और रोटी खाने के अलावा और कोई उपाय नहीं था.खेत और ज़मीन इसी इलाज़ में बिकते जा रहे थे. आज की रात भयानक थी.दादी दादा के पीठ को लगातार मॉल रही थी जिससे गैस बहार निकल जाये.दादाजी भी डकारें भर रहे थे.हम बच्चे भी जग कर दादी का हौंसला बाधा रहे थे.आज की रात शायद बैगन की सब्जी खा ली थी.गैस और तकलीफ दे रहा था।
<br />बहार पानी का बरसना थोडा कम हुआ और मेढकों ने टर्राना शुरू कर दिया.हमने भी सो कर जाग कर अपनी नींद पूरी कर ली। सुबह नींद खुली तो दादी ,दादा के तख्ता के नीचे सो रही थी और दादाजी बिस्तर पर.हम सब निकल के अपने-अपने घरों में चले गए.उसी दिन सुबह के बाद यह बाते गया की रात में ही दादाजी चले गए।
<br />"ऊपर वाले तुमने कब्र से कम दी ज़मीं मुझे"
<br />"पांवों फैलाव तो दीवार में सर लगता है"
<br />"पाऊँ फलो
<br />sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7313063979720636863.post-66509443809607498842010-06-26T05:51:00.000-07:002010-06-26T20:28:07.293-07:00सावन<a href="http://chitthajagat.in/?chittha=http://chakallas-sumanji.blogspot.com/&pasand=ha" title="पर पसंद करें"><img border="0" src="http://chitthajagat.in/chavi/pasand.gif" width="125" height="30" /></a>सावन के साथ मोनसून ने भी दस्तक दे दी है.धरती तर हो रही एक अरसे के बाद.गर्मी की तपिश से एक राहत मिली है प्रकृति को, जो प्रकृति के चेहरे पर झलक रहा है.प्रकृति को राहत मिली है न सिर्फ तपिश से बल्कि मानवीय आपदाओं से भी.सड़के सूनी है,कोंक्रीट का जंगल बनाना थम गया है.पेड़ काटना रुक सा गया है.प्रफुल्लित है प्रकृति इस भ्रम में मानो यह सारा सदा के लिए रुक गया है.जिस मानव को उसने जिन्दगी दी थी वह उसकी जड़ काटने में लगा था.प्रकृति सोच रही यह आनंद मानो सदा के लिए है.इस क्षण को भरपूर जी लें चाहती है वह क्षण भर में आकाश को चूमना चाहती है.उसे कल और आज की चिंता नहीं है जरूर कुछ बिछड़ों की तलाश होगी उसे जो कभी उसके हिस्से का धुप पी लेते थे आज नहीं होंगे फिर भी उमंग है आज जीने में।<br />"बागों में झूले जब लहराए,गीत मिलन की सबने गाये<br />सखियों ने पुछा बोल सखी री तेरे साजन क्योँ न आये।"sumanjihttp://www.blogger.com/profile/06116649907617044366noreply@blogger.com2