प्राची की नव किरण,नव पुकार जगत का
नव -नव क्षितिज पर नव श्रृंगार समय का,
नव है जीवन की परिभाषा नव लहू यौवन का
रश्मिरथी बन कर आई है नव वर्ष जगत का ।
श्रृष्टि के हर अंश में हो , नव संचार सृजन का,
धरा के कण-कण में हो उन्माद हर कम्पन का
मानव के जीवन में हो हर पल अब सुख का
जीवन के उत्सव में हर क्षण अब आनंद का
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