टिमटिमाती जा रही यह दिए की लौ देखो
बिखरता जा रहा है यह अँधेरा यार दखो
है अकेला किन्तु जोश कितना इसमें देखो
हार कर चला अँधेरा अब सिमटता यार देखो
जब तक रहेगा प्राण शक्ति तब तक यह लड़ता रहेगा
क्षीण होती ही रहेगी तम का अब प्राण देखो
रात भर जलती रहेगी चन्द्र के अवसान तक यह
एक केवल सूरज के तड़प में दिवस के आह्वान तक यह
सूर्य की जब लालिमा ने छू लिया इसके रगों को
कर दिया इसने विसर्जित अपना यह मन प्राण देखो
है तिमिर की यह कालसर्प चन्हूओर बिखरी
उसमे अकेला प्रकाश की यह दरबार देखो
लहर उठेगी एक दिन जब इसकी विजय पताका
हर तरफ होगा उजाला प्रेम का है पर्व देखो
हम रहें न तुम रहो लेकिन युगों तक इसकी रहेगी उम्र देखो
रहा था ,रहा है,और रहेगा तम समर का यह सतत वीर देखो
-एस के झा
बिखरता जा रहा है यह अँधेरा यार दखो
है अकेला किन्तु जोश कितना इसमें देखो
हार कर चला अँधेरा अब सिमटता यार देखो
जब तक रहेगा प्राण शक्ति तब तक यह लड़ता रहेगा
क्षीण होती ही रहेगी तम का अब प्राण देखो
रात भर जलती रहेगी चन्द्र के अवसान तक यह
एक केवल सूरज के तड़प में दिवस के आह्वान तक यह
सूर्य की जब लालिमा ने छू लिया इसके रगों को
कर दिया इसने विसर्जित अपना यह मन प्राण देखो
है तिमिर की यह कालसर्प चन्हूओर बिखरी
उसमे अकेला प्रकाश की यह दरबार देखो
लहर उठेगी एक दिन जब इसकी विजय पताका
हर तरफ होगा उजाला प्रेम का है पर्व देखो
हम रहें न तुम रहो लेकिन युगों तक इसकी रहेगी उम्र देखो
रहा था ,रहा है,और रहेगा तम समर का यह सतत वीर देखो
-एस के झा
sundar rachna
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