मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

घुरि आऊ गाम

ठाड़ छी  घरक पछुआर  में
बस्बिट्टी लग
बांस  आब नै,खाली जमीन छै,
दूर देखैत छि कलम बाग़
 सेहो   आब कम भ गैलाई
 खाली घर सब देखि रहल छि
घरक कात  से    
आवाज़ आयेल,बसंता हर ल
के जाईत ऐछ .
मुदा नहि
ई भ्रम छल
बसंता आब गाम में नहि
रहैत ऐछ,अलीगढ गेल अछी कमाई लेल
आब गाम में हर नहि चलैत छैक
ट्रक्टर चलैत छैक
खलिहान दिस गेलौं
लागल जेना गामक किछु काका
लोकिन एलाह अछि
मुदा खाट त  ख़ाली पडल अछि 
खलिहान दिस सेहो क्यों नहि
ख़ाली खलिहान,खाली दरवाज़ा
अचानक स्तब्ध भ
ठाड़ भ गेलहुं
की हम गाम में छि
या कतहु परदेस में
आब खेत में बाबा मेघडम्बर
ल के खेतक आइर
पर नहीं रहित छैथ   
आब गाम में आँगन में हुड दंग नहि
 नेन्ना भुटका के
 गाम में अन्हरिया राईत  में
भगजोगनी नहीं पकडैत छैक
नेन्ना भुटका सब 
आब क्यों काका काकी ,बाबा बाबी 
खिस्सा नहि सुनबैत छैक
नेन्ना भुटका के
आब गाम में दर्द नहीं छैक अनका लेल
आब गाम में सिनेमा हॉल छैक
आब गाम में शीशा बाला दुकान
आब  गाम में शराबक भट्ठी सेहो छैक 
अचानक  दाई शोर पारै छैथ
घुरि आऊ बाऊ यौ
क्यों नहि भेटत आब 
गाम आब किदन भ गेले


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