मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

akelapan

काफी ब्यस्त जिंदगी है.सुख सुविधा और समाज के आडम्बर पर घर छोड़ा,माँ-बाप से दूर अपनी पत्नी और दो बच्चों को aircondition जिंदगी देने के लिए .अंग्रेजी स्कूल की पढाई देने के लिए और television के बनावती नाटक दिखने के लिए.काफी दिन हो गए .शुरू-शुरू में सब अच्छा लगता था.अब लगता है की कुछ नहीं मिला.बच्चो की अच्छी पढाई के बदौलत उनको अच्छी नौकरी मिल जाएगी फिर उसके बाद.जिस माँ ने इतने मुश्किल से पाला,जिस बाप ने अपनी सुख छोड़ कर हमें इस नौकरी के लायक बनाया उसका ज़िक्र मात्र ही ज़िन्दगी से समाप्त होता जा रहा है.वोह दोनों अकेले जिंदगी की शाम गुजर रहे हैं.पहले गर्मी की छुट्टियों में घर जाता था.बच्चे पूरी गर्मी छुट्टी वहां बिताते थे.अब तो वोह भी बंद.पुरे साल में एक या दो बार दो-चार दिन के लिए ही जा पाटा हूँ.आज के माहौल में उन्हें हमारी बंद कमरों की जिंदगी पसंद नहीं है,और हम लोग भी उनकी स्वतंत्रता बाधित नहीं करना चाहते हैं.फलतः वोह भी अकेले और आज की असुरक्षित समाज में जी रहे हैं और हम केवल दूर से उनकी स्वस्थ जिंदगी की कामना करते हैं.

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